Boond Boond (From "Hate Story Iv") - Jubin Nautiyal

Boond Boond (From "Hate Story Iv")

Jubin Nautiyal

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Lyric

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

एक अजनबी एहसास है, कुछ है नया, कुछ ख़ास है

क़ुसूर ये सारा मौसम का है

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

चलने दो मनमर्ज़ियाँ, होने दो गुस्ताख़ियाँ

फिर कहाँ ये फ़ुरसतें, फिर कहाँ नज़दीकियाँ

कह दो, तुम भी कहीं लापता तो नहीं?

दिल तुम्हारा भी कुछ चाहता तो नहीं?

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

एक अजनबी एहसास है, कुछ है नया, कुछ ख़ास है

क़ुसूर ये सारा मौसम का है

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

सिर्फ़ एक मेरे सिवा और कुछ ना देख तू

ख़्वाहिशों के शहर में एक मैं हूँ, एक तू

तुझ को आना है तो बन के तू साँस आ

ना रहें दूरियाँ, इस क़दर पास आ

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

बस ये इजाज़त दे मुझे, जी भर के मैं पी लूँ तुझे

मैं प्यास हूँ और तू शबनम सा है

बूँद-बूँद में गुम सा है, ये सावन भी तो तुम सा है

- It's already the end -